बच्चों को खर्राटे क्यों आते हैं ? - why do children snore ?




बच्चों को खर्राटे - children's snoring

                    अक्सर देखने को मिलता रहा है  कि घर के बड़े ही खर्राटे ले कर सोते थे। लेकिन आज के समय में वृद्धजन से लेकर बच्चे भी खर्राटे के चपेट में आ रहे हैं। इसकोअक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन जब बच्चे खर्राटे लेते हैं तो इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए ।
                    क्या होता है ? जब बच्चे खर्राटे लेते हैं। क्या यह एक बड़ी गंभीर बीमारी है ? इसी बारे में हम जानेंगे और बताएंगे कि बच्चे खराटे क्यों लेते हैं ?


 

   बच्चों के खर्राटे को ना करें नजरअंदाज - 

      अगर आपका बच्चा भी खर्राटे लेता है या फिर उसे रात में सांस लेने में दिक्कत होती है। तो यह बहुत चिंता का विषय है।
  1.  किसी infection की वजह से tonsil बड़  सकते हैं। जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और खर्राटे की आवाज सुनाई देती है।
  2.  बच्चे का वजन बढ़ना या फिर obesity ( मोटापा  ) होने पर भी खर्राटे आ सकते हैं। obesity गले के स्वाँस  के रास्ते को छोटा कर देती है। जिससे खर्राटे की आवाज सुनाई देती है।
  3. जब बच्चे को सर्दी जुकाम हो जाता है तब भी खर्राटे जैसी समस्या हो जाती है।
  4. कभी-कभी धूल मिट्टी से  infection हो जाने के कारण भी बच्चे को खर्राटे आ सकते हैं। इसलिए 1 से 5 साल के बच्चे को मिट्टी से ज्यादा ना खेलने दे।
  5. कभी-कभी स्लीप एपनियां की वजह से भी बच्चे को खर्राटे देखने को मिल सकते हैं।
  6. अगर आपका बच्चा हर रोज खर्राटे ले रहा है तो यह आम बात नहीं है इससे बच्चे को थकान, सिरदर्द depression और सुस्ती रहना जैसी समस्या हो सकती है।
  7. अगर बच्चा ज्यादा खर्राटे लेता है तो बच्चे के nervous system पर असर पड़ सकता है।
  8. लगातार खर्राटे आना obstructive sleep यानि ठीक तरह से  नींद न आने  का संकेत हो सकता है। जिससे ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आ सकती है।
  9. खर्राटे जैसी समस्या बच्चे के हृदय से जुड़े जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
  10. खर्राटे के कारण रात में नींद पूरी न होने के कारण बच्चा पूरे दिन चिड़चिड़ा भी रह सकता है।

  लक्षण -

  • रात में डर लगना या सोते समय चलने की समस्या होना।
  • सोते समय अधिक पसीना आना।
  • बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होना।
  • दिन के समय अधिक सोना।
  • बच्चे को सही से रात में नींद ना आना।
  • बच्चों के tonsil - कान के नीचे का हिस्सा फूलना ।
  • बच्चे की नाक बंद रहना या नाक भरी रहना।
  • बच्चे के सीने से खरखड़ा ने की आवाज आना।

  उपाय -

                   बच्चे का बिस्तर से लेकर तकिया तक अच्छा रखें। बच्चे का तकिया मुलायम होना चाहिए। जब बच्चा बिस्तर पर लेट जाए तो देखें कि बच्चे को सांस लेने में दिक्कत तो नहीं हो रही या उसकी नाक तो बंद नहीं है। नाक खोलने के लिए बच्चे का सिर ऊंचा रखें इससे बलगम बाहर निकलने में मदद मिलती है और नाक भी खुल जाती है। बच्चे की नाक को हमेशा साफ रखें। सर्दियों के दिनों में अक्सर बच्चों की नाक  जम जाती है इसलिए बच्चों की नाक को समय-समय पर साफ करते रहें। कभी-कभी बच्चे की नाक में खुश्की हो जाती है कमरे की गर्माहट की वजह से इसलिए बच्चे की नाक में सरसों का तेल रूई के फाव  से लगाने से नाक खुल जाती है। याद रहे बच्चे की नाक में तेल डालना नहीं है सिर्फ लगाना है। बच्चे को हमेशा साफ-सुथरे जगह पर ही खेलने को कहें उसे गंदगी में बिल्कुल न खेलने दें और साफ-सुथरे कपड़े पहना कर  ही रखें। बच्चे को सर्दी लगने के कारण टॉन्सिल बढ़ने की शिकायत हो जाती है इसलिए बच्चे को सर्दी से बचा कर रखें। अपने बच्चे का वजन नियंत्रण में रखें और उसको बाहर का खाना ना  खाने  दें । 
      

      

























Post a Comment

0 Comments